नज़राना इश्क़ का (भाग : 02)
दूसरे पीरियड की शुरुआत हो चुकी थी, प्रोफेसर की एंट्री हुई, उनके साथ वहीं पीले सूट वाली लड़की थी, जिसने आँखों पर प्यारा सा चश्मा पहन रखा था, निमय की निगाहें उसपर ठहर कर रह गयीं।
"डिअर स्टूडेंट्स! ये हैं मिस फरी राजपूत, जो अपने कॉलेज की टॉपर भी रह चुकी हैं। ये आपके कॉलेज में नई स्टूडेंट हैं तो आप लोग इन्हें तंग करने की कोशिश ना करें।" प्रोफ़ेसर ने उस लड़की को इंट्रोड्यूस कराते हुए कहा। सभी का ध्यान प्रोफेसर की बातों पर था, मगर निमय जैसे खुली आँखों से सपने देखने में व्यस्त था।
"और हां! स्पेशली कोई इनसे बद्तमीजी करने की कोशिश ना ही करे, क्योंकि ये प्रिंसिपल के सबसे अच्छे दोस्त की बेटी….!"
"थैंक यू सर! एंड सॉरी, मैं यहां स्टूडेंट बनकर आयी हूँ सो प्लीज! मैं क्या हूँ, मेरे बैचमैट्स अगर ये जाने तो ज्यादा अच्छा रहेगा, क्योंकि मुझे यहाँ पढ़ाई करनी है, अपने पापा का रौब नहीं दिखाना।" फरी ने मुस्कुराते हुए कहा, और वो जाह्नवी के पास वाली खाली सीट पर बैठ गयी।
'ये क्या आफत है यार! मतलब प्रिंसिपल के दोस्त की बेटी है तो क्या कभी भी आ धमकेगी और एड्मिशन करा लेगी, बाकी सबको कितने पापड़ बेलने पड़ते है। और लेट आने में तो ये मैडम जी इस घोंचू से भी आगे हैं।' मन ही मन जाह्नवी बोली, उसके जबड़े भींचते लगे गए, उसके हाथ में थमा पेन टूटने ही वाला था तभी उसका ध्यान उस ओर गया, वह मुस्कुराई और फिर से सामान्य हो गयी जैसे कुछ हुआ ही न हो। निमय उसकी ओर देखकर घूरा।
'क्यों बेटा! अब आया न ऊंट पहाड़ के नीचे, अब दिखा कौन है टॉपर!' निमय ने इशारों इशारों में उससे कहा।
'घर चल गधे! फिर बताती हूँ तुझे, बड़ा आया हुंह!' जाह्नवी ने गर्दन झटकते हुए जवाब दिया।
'चल चल अभी चुपचाप लेक्चर लेने दे!' निमय ने जीभ निकालकर उसे चिढ़ाया।
'बोल तो ऐसे रहा है जैसे पढ़ता ही है, इसीलिए हमेशा सेकेंड पोजीशन पर रहता है तू, अब अगर ये तेरे से ज्यादा पढ़ाकू निकली तो फिर ये सेकेंड होगी और तू थर्ड..!' जाह्नवी ने भौंहे सिकोड़कर मुँह बनाते हुए कहा।
निमय को पता था कि जाह्नवी कभी जवाब देने में पीछे नहीं हटने वाली, इसलिए उसने मुँह बिचकाया और ध्यान से लेक्चर लेने लगा। थोड़ी ही देर में प्रोफेसर अपना लेक्चर कम्पलीट कर क्लास से चले गए। कुछ लड़के लड़कियों ने फरी को घेर लिया, मगर निमय और जाह्नवी अपने स्थान से हिले तक नहीं।
"अबे खाना खाई है तू? या घर से ऐसे ही भूखे पेट चली आयी? एकदम मरी मरी सी लग रही है चेहरा क्यों उतरा हुआ है तेरा?" निमय ने मुँह बनाकर जाह्नवी से पूछा।
"मैं तुम्हारी तरह आठ बजे तक बिस्तर नहीं तोड़ती मिस्टर घोंचू, जब तुम अपने सपने सजा रहे होते हो तब तक मैं खा - पी कर रेडी हो जाती हूँ।" जाह्नवी ने भौंहे चढ़ाकर घूरा, फिर ताना मारते हुए कहा।
"तुम दोनों फिर शुरू हो गए? अरे यार किसी दिन तो शांति से रह लेते।" विक्रम उन दोनों का बीचबचाव करते हुए बोला।
"ये रहने दे तब न?" जाह्नवी और निमय दोनों ने एक साथ, एक दूसरे की ओर तर्जनी उंगली इंगित कर इशारा करते हुए कहा।
"फिर वही, आज क्लास में नई स्टूडेंट आयी है, उससे थोड़ी जान पहचान करो, अभी भी ऐसा करोगे तो क्या इम्पैक्ट पड़ेगा हाँ!" हँसते हुए विक्रम, निमय की ओर कनखियों से झांकता हुआ बोला।
"तुम्हें पता है ना! मैं किसी से दोस्ती नहीं करता! वैसे भी हम गैर किसी के नहीं, अब कोई अपनाए ना तो अलग बात है!" निमय ने अपने दोनों हाथ फैलाते हुए शायराना अंदाज़ में कहा।
"तुझे तो पड़ोसी कुत्ता भी न अपनाए, बड़ा आया हुंह!" जाह्नवी आंखे तरेरती हुई बोली।
"तुझे पड़ोसन की बिल्ली काट खाये, जा अब खुश!" निमय ने उसकी ओर हथेली उठाकर आशीर्वाद देने के अंदाज में कहा।
"भक्क यार! मुझे बोलना ही नहीं है। ये तो नहीं है दोस्त मेरी पर तू तो समझा कर यार!" विक्रम वहां से जाने को उठने ही वाला था, तभी उन सभी किसी दूसरे क्लास में जाने का नोटिस आया।
"ये कॉलेज वाले न! हम स्टुडेंट कम नचनिया ज्यादा बनाकर रखे हैं, साला हर एक दो पीरियड में क्लास चेंज करनी पड़ती है, ऊपर से लिफ्ट यूज़ करने का नहीं है। इतनी सीढ़िया चढ़ते उतरते चप्पल घिस जाती है कसम से।" निमय ने मन ही मन कुढ़ते हुए कॉलेज के सिस्टम को बुरा भला कहने लगा।
"तेरा छोड़ घोंचू, मेरे को तो लगता मैं घिस घिस के किसी दिन छोटी न हो जाऊं! ये सीढ़िया बनाने का आईडिया किस उल्लू के पट्ठे का था, कसम से जान ले लेती मैं उसकी!" जाह्नवी उसके साइड में चलती हुई, गला पकड़ने के अंदाज में दोनो हाथ कर बोली।
"वैसे तू छोटी हो जाएगी तो कम से कम एक फायदा तो होगा ही…!" निमय ने उसकी बात सुनकर हँसते हुए कहा।
"अच्छा? तुझे फायदा दिख रहा है! क्या होगा तेरा फायदा ये बता?" जाह्नवी इतनी बात पर बिदककर उसे धमकाते हुए बोली।
"यही कि तेरी आवाज को मेरे कानों में आने में कुछ माइक्रो सेकण्ड्स का टाइम लगेगा और थोड़ा स्लो भी आएगा। जिससे मेरे कान के पर्दे कुछ और समय तक सलामत रह सकेंगे।" निमय मासूम सा चेहरा बनाकर बोला।
"मेरे अकेले के पैर नहीं घिसेंगे बच्चू! तेरे पैर तो इतने घिस जाएंगे कि पैर ही नहीं दिखेंगे हाहाहा…!" जाह्नवी दांत फाड़कर हंसते हुए बोली।
"मुँह बंद कर लें वरना मक्खी घुस जाएगी!" निमय ने अपने दोनों हाथों से उसके माथो और ठुड्डी को पकड़ते हुए मुँह बन्द कर दिया।
"तेरे जैसा घोंचू वायरस झेल रही हूँ तब कुछ नहीं हुआ तो फिर एक मक्खी क्या ही बिगाड़ लेगी मेरा!" जाह्नवी ने मुँह बिचकाकर इठलाते हुए कहा।
"बस करो यार! क्लास आ गयी अपनी।" विक्रम उन दोनों को चुप कराते हुए बोला, सभी बच्चे क्लास में जा चुके थे, बस यही तीनों और कुछ अन्य अभी भी बाहर टहलते हुए दिखाई दे रहे थे।
■■■■■
इंटरवल में
सभी लड़कियाँ, उस नई आयी लड़की के रूप एवं गुण से काफी प्रभावित नजर आ रहीं थी। तभी सभी ने उसे घेर रखा था, कुछ को उम्मीद लगी थी कि शायद ये जाह्नवी से भी तेज तर्रार हो, इसलिए कुछ ज्यादा ही अपनेपन का दिखावा कर रही थी क्योंकि जाह्नवी अपने भाई से लड़ने के अलावा शायद ही किसी से बात करती थी। हालांकि सब जानते थे कि वो दिल से बहुत अच्छी लड़की है, कभी किसी की मदद करने से पीछे नहीं हटती, न किसी को हर्ट करती। बस वो दोनों भाई बहन अपने में मशगूल रहते इसलिए वे दोनों लड़के लड़कियों दोनों की आँखों में खटकते थे। न जाने विक्रम कैसे निमय का दोस्त बन गया वरना वो लड़का तो अपनी बहन को चिढ़ाने के अलावा किसी से कोई बात तक न करता था।
सभी लड़कियां फरी को घरकर बैठी हुईं थी उनमें से कुछ उसकी तारीफ करने में लगी हुई थी, कुछ उसकी खूबसूरती का राज जानना चाहती थी, कुछ को उसके मन में निमय और जाह्नवी के प्रति जहर भरना था तो वहीं कुछ कुछ को ये जानना था कि उसने चश्मा फैशन के लिए लगा हुआ है या फिर सच में उसे चश्मा लगा है। बस तरह तरह के सवाल पूछे जा रहे थे, जितने मुंह उतने सवाल..!
"शांत हो जाओ आप लोग प्लीज! मैं कोई सेलेब्रिटी नहीं हूँ। मुझे घेरकर खड़े रहना बन्द कीजिये, मैं भी आप ही में से एक हूँ बस..!" फरी परेशान स्वर में बोली। इतने लोगों की बातें सुनकर उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था, मगर लड़कियां एक बार में बात मान लें तो उन्हें लड़की ही कौन कहें। वे सब वहां से हटने का नाम नहीं ले रही थी, फरी बिचारी एक तो यहां नई नई आयी थी, ऊपर से उसे ऐसे लोगो से घिरकर रहना बिल्कुल पसंद नहीं था। वो नहीं चाहती थी कि उसको मिलने वाला सम्मान, प्यार या जो कुछ भी उसे मिले, वो किसी और के नाम पर मिले, उसे अपना नाम कमाना था, अपनी इज्जत कमानी थी, वह हर सिचुएशन में शांत रहने की पूरी कोशिश करती थी।
"आप लोग मेरे साथ ऐसा बिहेव करना बंद कीजिए। मुझे अकेले रहने दीजिए प्लीज!" हाथ जोड़ते हुए फरी उन सबकी भीड़ से निकलकर वहां से थोड़ी दूर चली गयी। थोड़ी देर में इंटरवल समाप्त हो गया सभी अपनी अपनी क्लास में चले गए।
■■■
शाम को
फरी अपने कमरे में कुर्सी पर बैठी कुछ सोच रखी थी, उसके सामने स्टडी टेबल पर कुछ किताबें रखी हुई थी, वहीं पास में उसका हैंडबैग भी रखा हुआ था। वह थोड़ी देर तक किसी सोच में डूबी रही फिर अपने बैग से एक मोटी सी डायरी निकालकर उसमें लिखना आरम्भ किया।
"प्यारी डायरी! जानती हूँ एक-दो दिन से मैं तुम्हें सही से टाइम नहीं दे पा रही हूँ पर मैं थोड़ा बिजी चल रही थी यार! होप कि तुम समझो!
नया कॉलेज मुझे थोड़ा अच्छा लगा पर वहां के लोगों का बिहेव अजीब लगा मुझे। पहले तो प्रोफेसर ही मुझे मेरे पापा के नाम से सेलेब्रिटी बनाने लगे, मैंने मना किया पर मेरे मना करने के बावजूद सब के सब मुझे सेलेब्रिटी की तरह घेरकर खड़े हो गए! तुम्हें तो पता है ऐसे में मुझे घुटन हो जाती है। और उनकी बातें बाप रे बाप! कोई ये बोलता है, कोई वो बोलता है, कोई कुछ भी बोल देता है, हर जगह की एक ही हालत है, पढ़ाई हो न हो.. चुगली जरूर होगी। पूरे क्लास में बस दो-तीन थे जिन्होंने मुझे तंग नहीं किया, और पता है सब उन्हीं की बुराई करने में लगे हुए थे। मुझे भी वे दोनों अजीब लगे पर थोड़े इंटरेस्टिंग भी! खैर मुझे क्या? मुझे तो वैसे भी बस पढ़ाई से मतलब रखनी है, ताकि मुझे कभी किसी और के नाम के सहारे की जरूरत न पड़े। इसी बात पर एक शायरी सुनाती हूँ तुम्हें…!
'ये मतलब था कहो उनका, जो भी था बेमतलब था
जब मतलब का किया नही, तो करने का क्या मतलब था!'
अच्छा चलो! अभी बहुत कुछ करना है, पढ़ाई भी करनी है। गुड नाईट बेस्टी..!"
इतना लिखने के बाद फरी हल्के से मुस्कुराई, उसने उस पेन को वहीं बीच में रखकर डायरी बन्द कर दिया और अपने काम में लग गयी। उसके दिमाग में अब भी दिन भर में हुई घटनाऐं घूम रही थी।
"नया शहर, नई शाम … रुत है नई, फिर एक से हैं, जाने ये लोग क्यों नहीं बदलते!'
क्रमशः...
shweta soni
29-Jul-2022 11:33 PM
Bahut achhi rachana
Reply
रतन कुमार
27-Jan-2022 12:35 AM
बहुत खूबसूरत कहानी है डायरी लिखना एक अच्छी आदत लगती है मुझे
Reply
मनोज कुमार "MJ"
06-Mar-2022 01:09 PM
Ji shukriya
Reply
Sandhya Prakash
25-Jan-2022 08:47 PM
Very intresting
Reply